Vd savarkar history in hindi
Veer Savarkar Biography: कोई हीरो तो कोई मानता है विलेन, जानिए कितने पढ़े-लिखे थे वीर सावरकर
इतिहास के सबसे विवादित नामों में से एक हैं दामोदर दास सावरकर यानी वीडी सावरकर। वे एक ऐसा चेहरा हैं जिन्हें कोई हीरो तो कोई विलेन मानता है। हिंदुत्ववादी नेता सावरकर का जन्म आज ही के दिन में भागपुर, नासिक गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर (Veer Savarkar) है। वह एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, समाज सुधारक और हिंदुत्व के दर्शन के सूत्रधार थे। उनके पिता दामोदर पंत सावरकर और माता यशोदा सावरकर थे। सावरकर ने बेहद कम उम्र में ही अपने माता -पिता को खो दिया था।कौन थे वीर सावरकर?
वीर सावरकर का जन्म एक ब्राह्मण हिंदू परिवार में हुआ था। उनके भाई-बहन गणेश, मैनाबाई और नारायण थे। वह अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते थे और यही कारण था कि उन्हें 'वीर' कहकर बुलाया जाने लगा। सावरकर अपने बड़े भाई गणेश से बेहद प्रभावित थे, जिन्होंने उनके जीवन में प्रभावशाली भूमिका निभाई थी। वीर सावरकर ने 'मित्र मेला' के नाम से एक संगठन की स्थापना की जिसने लोगों को भारत की 'पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता' के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा (Veer Savarkar Education)
उन्होंने फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र से बैचलर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई पूरी की। वे द ऑनरेबल सोसाइटी ऑफ़ ग्रेज़ इन, लंदन में बैरिस्टर के रूप में कार्यरत थे। उन्हें इंग्लैंड में लॉ की पढ़ाई करने का प्रस्ताव मिला और उन्हें स्कॉलरशिप की पेशकश भी की गई। श्यामजी कृष्ण वर्मा ने उन्हें इंग्लैंड भेजने और अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने में मदद की। उन्होंने वहां 'ग्रेज इन लॉ कॉलेज' में दाखिला लिया और 'इंडिया हाउस' में शरण ली। यह उत्तरी लंदन में एक छात्र निवास था। लंदन में वीर सावरकर ने अपने साथी भारतीय छात्रों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए एक संगठन 'फ्री इंडिया सोसाइटी' का गठन किया।
गिरफ्तारी (Veer Savarkar Prison)
ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के कारण वीर सावरकर की ग्रेजुएशन की डिग्री वापस ले ली। जून में वे बैरिस्टर बनने के लिए लंदन गए। जब वे लंदन में थे, तो उन्होंने इंग्लैंड में भारतीय छात्रों को ब्रिटिश औपनिवेशिक आकाओं के खिलाफ प्रोत्साहित किया। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हथियारों के इस्तेमाल का समर्थन किया।
13 मार्च को उन्हें लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया और मुकदमे के लिए भारत भेज दिया गया। हालांकि जब उन्हें ले जाने वाला जहाज फ्रांस के मार्सिले पहुंचा, तो सावरकर भाग गए लेकिन फ्रांसीसी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 24 दिसंबर को उन्हें अंडमान में जेल की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने जेल में बंद अनपढ़ दोषियों को शिक्षा देने की भी कोशिश की।
सावरकर और महात्मा गांधी की मृत्यु (Veer Savarkar And Gandhi Assasination)
नाथूराम गोडसे हिंदू महासभा के सदस्य थे। हालांकि विट्ठल भाई पटेल, तिलक और गांधी जैसे महान नेताओं की मांग से सावरकर को रिहा कर दिया गया और 2 मई, को भारत वापस लाया गया। लेकिन वीर सावरकर पर महात्मा गांधी की हत्या के मामले में भारत सरकार द्वारा आरोप लगाया गया था। बाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था। 26 फरवरी को 83 वर्ष की आयु में सावरकर पंचतत्वों में विलीन हो गए थे।
(Who Was Veer Savarkar?)
वीर सावरकर का जन्म एक ब्राह्मण हिंदू परिवार में हुआ था। उनके भाई-बहन गणेश, मैनाबाई और नारायण थे। वह अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते थे और यही कारण था कि उन्हें 'वीर' कहकर बुलाया जाने लगा। सावरकर अपने बड़े भाई गणेश से बेहद प्रभावित थे, जिन्होंने उनके जीवन में प्रभावशाली भूमिका निभाई थी। वीर सावरकर ने 'मित्र मेला' के नाम से एक संगठन की स्थापना की जिसने लोगों को भारत की 'पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता' के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा (Veer Savarkar Education)
उन्होंने फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे, महाराष्ट्र से बैचलर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई पूरी की। वे द ऑनरेबल सोसाइटी ऑफ़ ग्रेज़ इन, लंदन में बैरिस्टर के रूप में कार्यरत थे। उन्हें इंग्लैंड में लॉ की पढ़ाई करने का प्रस्ताव मिला और उन्हें स्कॉलरशिप की पेशकश भी की गई। श्यामजी कृष्ण वर्मा ने उन्हें इंग्लैंड भेजने और अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने में मदद की। उन्होंने वहां 'ग्रेज इन लॉ कॉलेज' में दाखिला लिया और 'इंडिया हाउस' में शरण ली। यह उत्तरी लंदन में एक छात्र निवास था। लंदन में वीर सावरकर ने अपने साथी भारतीय छात्रों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए एक संगठन 'फ्री इंडिया सोसाइटी' का गठन किया।
गिरफ्तारी (Veer Savarkar Prison)
ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के कारण वीर सावरकर की ग्रेजुएशन की डिग्री वापस ले ली। जून में वे बैरिस्टर बनने के लिए लंदन गए। जब वे लंदन में थे, तो उन्होंने इंग्लैंड में भारतीय छात्रों को ब्रिटिश औपनिवेशिक आकाओं के खिलाफ प्रोत्साहित किया। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हथियारों के इस्तेमाल का समर्थन किया।
13 मार्च को उन्हें लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया और मुकदमे के लिए भारत भेज दिया गया। हालांकि जब उन्हें ले जाने वाला जहाज फ्रांस के मार्सिले पहुंचा, तो सावरकर भाग गए लेकिन फ्रांसीसी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 24 दिसंबर को उन्हें अंडमान में जेल की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने जेल में बंद अनपढ़ दोषियों को शिक्षा देने की भी कोशिश की।
सावरकर और महात्मा गांधी की मृत्यु (Veer Savarkar And Gandhi Assasination)
नाथूराम गोडसे हिंदू महासभा के सदस्य थे। हालांकि विट्ठल भाई पटेल, तिलक और गांधी जैसे महान नेताओं की मांग से सावरकर को रिहा कर दिया गया और 2 मई, को भारत वापस लाया गया। लेकिन वीर सावरकर पर महात्मा गांधी की हत्या के मामले में भारत सरकार द्वारा आरोप लगाया गया था। बाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था। 26 फरवरी को 83 वर्ष की आयु में सावरकर पंचतत्वों में विलीन हो गए थे।